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इश्क, जुदाई और चाँद की बेवफाई: एक शायराना दास्तान

इश्क, जुदाई और चाँद की बेवफाई: एक शायराना दास्तान

नई दिल्ली: मोहब्बत और जुदाई के रंगों से सजी ये शायरी, दिल के उन गहरे जख्मों को बयां करती है, जो कभी इश्क में मिले, तो कभी बेवफाई की राहों में। शायर डीसीपी जितेंद्र मणि ने अपनी कलम से मोहब्बत की मासूमियत, चाँद की बेवफाई और जख्मों की तड़प को कागज पर उकेरा है।
चाँद, मोहब्बत और बेवफाई
चाँद को सदा से प्रेम का प्रतीक माना जाता है, लेकिन यहाँ शायर उसकी असलियत को बेनकाब कर रहे हैं। वह चाँद से सवाल करते हैं कि आखिर उसे किस बात का घमंड है?

"चेहरे पे लिए दाग चंदा तुझे क्यों गुरूर
तुझपे अदाओं का है छाया कैसा ये सुरूर?"

वह चाँद को याद दिलाते हैं कि उसका नूर तो पराया है, असल रौशनी तो सूरज से उधार ली हुई है। लेकिन जब महबूब सामने होता है, तो चाँद फीका पड़ जाता है। ईद का चाँद देखने की अब जरूरत नहीं, क्योंकि इश्क का चाँद तो उनकी जिंदगी में पहले से मौजूद है।

"मुझको नहीं तेरी ज़रूरत सुन ले ओ चंदा
अब ईद को कहेंगे सनम आज छत पे आ।"

इश्क का दर्द और बेवफाई की तड़प
शायर के अल्फ़ाज़ बताते हैं कि इश्क में शोहरत तो महबूब को मिलती है, लेकिन दर्द आशिक की किस्मत में आता है।

"मेरे ही इश्क में उनको हुई शोहरत इतनी
हमसे इतराय न वो उनको बताओ यारो।"

वह मोहब्बत के सफर को कांटों से भरी राह बताते हैं और समाज को चुनौती देते हैं कि अगर जख्म देना ही है, तो और गहरे कर दो।

"वैसे भी मेरे कदम खार से वाबस्ता है
तुम भी तो जख्म गहरे उसमें लगाओ यारो।"

यादों का जख्म और मोहब्बत का नशा
शायर यह भी बताते हैं कि जब कोई बिछड़ जाता है, तो उसे भुलाना आसान नहीं होता।

"बस ये दिक्कत है भूलने में उसे
कि भूल जाता हूँ भूलना है उसे।"

इश्क का नशा ऐसा है कि शराब की जरूरत ही नहीं पड़ती।

"हमारा नशा एक उम्र तक नहीं उतरेगा
हमने जाम से नहीं दोस्त आंखों से पिया है।"

अलविदा की आखिरी ख्वाहिश
शायर अपनी अंतिम यात्रा की कल्पना भी मोहब्बत के रंग में करते हैं। वह चाहते हैं कि उनकी मौत के बाद भी महबूब को दिखाने के लिए उनकी आँखें खुली रहें।

"मेरा रुखसार खुला रखना मेरी मैयत पे
मरके भी आँखें खुली उनको दिखाओ यारो।"

निष्कर्ष
शायर जितेंद्र मणि की यह गजलें और शायरियां इश्क की उन हकीकतों से रूबरू कराती हैं, जिनमें दर्द भी है, जुनून भी, और मोहब्बत की पाकीजगी भी। यह महज अल्फ़ाज़ नहीं, बल्कि दिल के टुकड़े हैं, जो मोहब्बत की दास्तान कहते रहेंगे।

(रिपोर्ट: राशिद चौधरी)
(साहित्य संवाददाता एस के आर न्यूज)
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