दिल्ली की सियासत में भूचाल: 'आप' के पतन के साथ बीजेपी की बड़ी जीत
नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर हो गया है। कभी राजधानी की सबसे प्रभावशाली पार्टी मानी जाने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) अब हाशिए पर जाती दिख रही है। कांग्रेस और बीजेपी की रणनीति ने ‘आप’ के अहंकार को धराशायी कर दिया, और अकेले चुनाव लड़ने की जिद ने इसे एक छोटी पार्टी में तब्दील कर दिया।
आप की हार: संगठन की कमी और घमंड बना वजह
आम आदमी पार्टी के लिए यह हार किसी बड़े झटके से कम नहीं। विशेषज्ञों का मानना है कि ‘आप’ का कोई ठोस संगठनात्मक ढांचा नहीं था और न ही उसे किसी खास जातिगत या वैचारिक समर्थन का फायदा मिला। अब जब दूसरी पार्टियां भी फ्री सुविधाओं को अपने एजेंडे में शामिल कर चुकी हैं, तो जनता को वापस लुभाना बेहद मुश्किल होगा।
27 साल बाद दिल्ली पर बीजेपी का कब्जा
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाकर यह साबित कर दिया कि मजबूत संगठन और सही रणनीति ही जीत की कुंजी होती है। ‘आप’ की आपसी फूट और घमंड ने उसे इस स्थिति तक पहुंचा दिया। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि बचे हुए विधायक कब तक एकजुट रह पाते हैं, क्योंकि बड़े दिग्गजों की हार के बाद पार्टी का नेतृत्व सवालों के घेरे में है।
क्या कांग्रेस फिर से दिल्ली में जड़े जमाएगी?
इस चुनाव के नतीजे यह भी साफ कर चुके हैं कि दिल्ली में अब बीजेपी और कांग्रेस ही दो मुख्य ध्रुव बनकर उभर रही हैं। अगर ‘आप’ अपने भीतर बदलाव नहीं लाती, तो 2025 के चुनाव में यह पूरी तरह हाशिए पर जा सकती है। "बटोगे तो घटोगे"— यह राजनीति का कड़वा सच है, जिसे ‘आप’ को अब स्वीकार करना ही होगा।
रिपोर्ट: राशिद चौधरी (SKR NEWS)