दिल्ली के एग्जिट पोल: कांग्रेस को भाजपा की जीत का गम नहीं, केजरीवाल की हार की खुशी!
दिल्ली में 5 फरवरी को हुए मतदान के बाद एग्जिट पोल के नतीजे कांग्रेस की उम्मीदों के अनुरूप नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, भाजपा सरकार बनाती दिख रही है, आम आदमी पार्टी को झटका लग रहा है, और कांग्रेस को मामूली बढ़त मिलने की संभावना है। लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस की असली रणनीति सीटें जीतने से ज्यादा, अरविंद केजरीवाल को हराने की थी।वोट बंटवारे को रोकने की नहीं।
कांग्रेस की असली लड़ाई ‘आप’ से थी, भाजपा से नहीं
दिल्ली में कांग्रेस का मुख्य फोकस आम आदमी पार्टी को हराना रहा है, न कि भाजपा से मुकाबला करना। यही कारण है कि कांग्रेस ने इस बार अपने प्रचार अभियान को मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में केंद्रित किया और दमदार उम्मीदवारों को उतारा। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को भी मैदान में उतारा गया ताकि ‘आप’ को सीधी चुनौती दी जा सके।
कांग्रेस की रणनीति यह सुनिश्चित करने की थी कि अरविंद केजरीवाल एक बार फिर मुख्यमंत्री न बनें। पार्टी को भाजपा की जीत से उतना दुख नहीं होगा, लेकिन अगर केजरीवाल हारते हैं तो कांग्रेस इसे अपनी सफलता मान सकती है।
INDIA गठबंधन में राहुल गांधी को चुनौती दे रहे थे केजरीवाल
केजरीवाल सिर्फ दिल्ली की राजनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना चुके हैं। विपक्षी गठबंधन INDIA में वे राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती देते रहे हैं। उन्हें ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और शरद पवार जैसे विपक्षी नेताओं का समर्थन भी प्राप्त है। अगर केजरीवाल दिल्ली में हारते हैं, तो कांग्रेस को उम्मीद है कि इससे विपक्षी गठबंधन में राहुल गांधी की स्थिति मजबूत होगी और केजरीवाल कमजोर पड़ जाएंगे।
मुस्लिम वोटर फैक्टर: किसका फार्मूला रहा सफल?
दिल्ली चुनाव में मुस्लिम वोटरों की भूमिका भी अहम रही है। कुछ घटनाओं के कारण मुस्लिम समुदाय केजरीवाल से नाराज़ नजर आया, जिससे कांग्रेस को उम्मीद थी कि उसे फायदा मिलेगा। अब 8 फरवरी को नतीजे तय करेंगे कि मुस्लिम मतदाताओं ने केजरीवाल से नाराज़गी जताई या उन्हें फिर से समर्थन दिया।
"हम डूबेंगे सनम, तुमको भी ले डूबेंगे" – दिल्ली चुनाव की असली कहानी?
दिल्ली चुनाव का नज़ारा ऐसा रहा कि कांग्रेस और ‘आप’ एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाने में लगी रहीं, जिससे भाजपा को फायदा होता दिख रहा है। अब देखना होगा कि जनता ने इस सियासी घमासान में किसे समर्थन दिया है – यह फैसला चंद घंटों में सामने होगा।
अब सबकी नजरें 8 फरवरी के नतीजों पर
अब इंतजार 8 फरवरी का है, जब यह साफ हो जाएगा कि दिल्ली की जनता ने भाजपा, कांग्रेस या आम आदमी पार्टी में से किसे चुना। क्या कांग्रेस का ‘केजरीवाल को हराने का फार्मूला’ काम करेगा? या फिर अरविंद केजरीवाल एक बार फिर जीतकर विरोधियों को करारा जवाब देंगे?
रिपोर्ट: राशिद चौधरी
सियासत का राज़ न्यूज (SKRNEWS)