बाहरी दिल्ली की खास खबर
नगर निगम में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी, जांच पर हावी भूमाफियों का फरमान!
अवैध निर्माण और कृषि भूमि पर कब्जे का खुलासा
बाहरी दिल्ली के रोहिणी नगर निगम जोन और नांगलोई सब डिविजन में भ्रष्टाचार अपनी जड़ें जमा चुका है। कृषि भूमि पर अवैध निर्माण और प्लॉटिंग धड़ल्ले से जारी है, जिसमें नगर निगम, पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत सामने आ रही है।
भूमाफियों का दबदबा, प्रशासन बेबस
बाहरी जिले के नांगलोई जाट और सुल्तानपुरी इलाके में कृषि भूमि को अवैध रूप से प्लॉटिंग कर बेचा जा रहा है।
भल्ला फैक्ट्री की कृषि भूमि पर प्रॉपर्टी डीलरों का कब्जा हो चुका है।
रोहिणी नगर निगम जोन और सब-डिविजन अधिकारी इस अवैध निर्माण को रोकने के बजाय भूमाफियाओं की पीठ थपथपा रहे हैं।
पुलिस, नगर निगम और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी इस ग़ैरकानूनी गतिविधि में संलिप्त बताए जा रहे हैं।
शासन-प्रशासन की नाकामी या मिलीभगत?
रोहिणी जोन नगर निगम में भ्रष्टाचार इतना गहरा है कि यदि उच्च स्तरीय जांच हो तो बड़ा खुलासा हो सकता है।
कृषि भूमि को प्लॉटिंग ज़मीन के तौर पर बेचा जा रहा है।
अवैध निर्माण और प्लॉटिंग को लेकर 2020 से लगातार शिकायतें दी जा रही हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
प्रशासन के नियमों को ताक पर रखकर अवैध कॉलोनियों को बसाने का खेल जारी है।
सूत्रों के अनुसार, प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के चलते भूमाफियाओं को छूट मिली हुई है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना
दिल्ली में नई अवैध कॉलोनियों के निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख है, लेकिन बाहरी दिल्ली में खुलेआम कानून का उल्लंघन हो रहा है।
पुलिस, तहसीलदार और एसडीएम तमाशबीन बने हुए हैं।
बिना किसी कानूनी ले-आउट के प्लॉटिंग का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है।
नगर निगम के अधिकारी इस ग़ैरकानूनी काम को रोकने के बजाय माफियाओं को संरक्षण देने में जुटे हैं।
क्या बीजेपी सरकार लेगी सख्त कदम?
दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने के बाद इस अवैध कॉलोनी बसाने वाले भ्रष्टाचार पर कार्रवाई होगी या नहीं, यह देखने वाली बात होगी।
क्या बीजेपी इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाएगी?
क्या रोहिणी जोन के डीसी, सब-डिविजन एसडीएम और बाहरी दिल्ली पुलिस की नींद टूटेगी?
क्या भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ शासन स्तर पर कोई कार्रवाई होगी?
क्या था पूरा मामला?
2020 से लगातार शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
नगर निगम, पुलिस और अन्य प्रशासनिक अधिकारी निष्क्रिय बने रहे।
जांच के दौरान यह पाया गया कि जिस ज़मीन को अवैध प्लॉटिंग में बदला जा रहा है, वह शैक्षणिक कृषि भूमि के रूप में दर्ज है।
अब देखने वाली बात होगी कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसा जाएगा या यह खेल यूं ही जारी रहेगा?
रिपोर्ट: (एस के आर)