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दिल्ली में वोट कटौती की राजनीति: जनता को जागरूक होने की ज़रूरत

दिल्ली में वोट कटौती की राजनीति: जनता को जागरूक होने की ज़रूरत

ब्यूरो: (एस के आर न्यूज़)
नई दिल्ली: जैसे-जैसे दिल्ली चुनाव 2025 नजदीक आ रहा है, राजनीति के गलियारों में हलचल तेज़ हो गई है। कई छोटी-छोटी पार्टियां और नेता जनता से वोट मांगने के लिए गली-मोहल्लों में सभाएं कर रहे हैं। यह गतिविधियां जनता को जागरूक करने और उनके अधिकारों के प्रति सतर्क करने का मौका भी हो सकती हैं।
हाल ही में किराड़ी के हरि एन्क्लेव में एक स्कूल में आयोजित एक बैठक इसका उदाहरण है। वहां उपस्थित नेता ने क्षेत्र के विधायक बनने के लिए जनता से वोट मांगे। जब जनता ने पूछा, "आपको हम क्यों वोट दें?", तो जवाब में केवल पुराने और घिसे-पिटे वादे सुनने को मिले। इसके बाद जनता ने इलाके की समस्याओं पर सवाल दागे।

जनता के सवाल और नेताओं की असमर्थता

जब लोगों ने पूछा कि किराड़ी क्षेत्र में प्रमुख समस्याएं क्या हैं, तो नेता कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे पाए। उनकी योजना केवल चुनाव जीतने तक सीमित नजर आई। "हम जित जाएंगे, तो सब समस्याएं हल कर देंगे" जैसा बयान सुनकर जनता ने उन्हें नकार दिया।

लोगों का कहना है कि इन नेताओं को इलाके की बुनियादी परेशानियों की जानकारी तक नहीं है। किराड़ी के लोग लंबे समय से सड़क, सीवेज, जलभराव और अन्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन इन मुद्दों पर नेताओं का ध्यान नहीं है।

छोटी पार्टियों की भूमिका और राजनीति का समीकरण

किराड़ी विधानसभा पहले से ही राजनीतिक खींचतान का केंद्र रही है। हाल ही में बीजेपी के पूर्व विधायक को "आप" से टिकट मिलने की खबर ने दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं में असमंजस पैदा कर दिया है। वहीं, छोटी पार्टियां भी मैदान में उतरकर वोट काटने का खेल खेल रही हैं।

जनता को क्यों जागरूक होना चाहिए?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति केवल जनता को बांटने और असली मुद्दों से भटकाने के लिए बनाई जा रही है। जनता को सतर्क रहने की जरूरत है और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका वोट सही व्यक्ति और पार्टी को जाए।

किराड़ी जैसे क्षेत्रों में जहां समस्याएं गंभीर हैं, वहां मतदाताओं को अपने अधिकारों और जरूरतों को लेकर सचेत रहना होगा। वादे और दावे सुनने से पहले नेताओं से सवाल पूछें और उनके जवाबों का मूल्यांकन करें।

निष्कर्ष

चुनाव के समय वोट काटने की राजनीति कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह जनता पर निर्भर करता है कि वे अपने वोट का सही इस्तेमाल करें। अपने क्षेत्र की समस्याओं और उनके समाधान के लिए नेताओं को जवाबदेह बनाना ही लोकतंत्र को मजबूत करेगा।

रिपोर्ट: राशिद चौधरी
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