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नारी शक्ति: सम्मान, सामर्थ्य और समाज में स्थान

नारी शक्ति: सम्मान, सामर्थ्य और समाज में स्थान

नारी शक्ति का महत्त्व सम्पूर्ण सृष्टि में अनमोल है। नारी के अनेक रूप हैं—वह एक बेटी है, एक बहू है, एक मां है, और इन सभी भूमिकाओं में वह समाज का आधार है। नारी का सम्मान, वास्तव में, पूरे विश्व का सम्मान है। जिस घर में नारी का आदर होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है और उस घर में खुशहाली एवं समृद्धि निवास करती है।

नारी शक्ति का सबसे स्पष्ट उदाहरण प्राचीन समय से ही हमारे इतिहास में देखने को मिलता है। सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और साहस से यमराज से अपने पति के प्राण वापस ले लिए थे। यह नारी के आत्मबल और मानसिक शक्ति का एक अटल प्रतीक है।

आज की आधुनिक नारी भी किसी से पीछे नहीं है। डॉक्टर, इंजीनियर, पायलट जैसे पेशों में नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। रानी लक्ष्मीबाई की वीरता को कौन भूल सकता है? उन्होंने अपने अदम्य साहस से अंग्रेजों का मुकाबला किया और वीरगति प्राप्त की। किरण बेदी, कल्पना चावला, और सुनीता विलियम जैसी महिलाओं ने अपने अद्वितीय कार्यों से इतिहास रच दिया है और यह सिद्ध किया है कि महिलाएं हर क्षेत्र में सफलतापूर्वक अग्रसर हो सकती हैं।

नारी केवल एक शक्ति नहीं, बल्कि एक संपूर्ण सृजन का स्रोत है। वह दुर्गा है, वह काली है, वह अन्नपूर्णा है। हर अवसर पर, हर भूमिका में नारी ही विद्यमान है। उसकी शक्ति का अद्वितीय रूप संसार के हर कोने में देखा जा सकता है। ईश्वर भी नारी शक्ति को नमन करते हैं क्योंकि मां से बढ़कर कोई शक्ति नहीं होती।

आज की आवश्यकता है कि हम सब मिलकर नारी के सम्मान को और बढ़ाएं। उसे समाज में सुरक्षित एवं ऊंचा स्थान दिलाएं, ताकि वह अपने सभी सपनों को साकार कर सके और समाज में अपने महत्वपूर्ण योगदान को निभा सके।

आओ, हम सब मिलकर नारी को उसका अधिकार दें और उसे वह आदर प्रदान करें, जिसकी वह वास्तविक रूप से हकदार है। नारी शक्ति का सम्मान करना, समस्त मानवता का सम्मान करना है।

लेखिका: रेणु मल्होत्रा
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