दिल्ली के दिल में ऐतिहासिक धरोहर पर हमला: प्रशासन की मिलीभगत या साजिश?
रिपोर्ट: एसकेआर न्यूज़ ब्यूरो
दिल्ली में एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ कानून और नियमों की धज्जियाँ उड़ाईं, बल्कि शहर की ऐतिहासिक विरासत पर भी काला धब्बा छोड़ दिया है। दिल्ली के कश्मीरी गेट इलाके की संपत्ति संख्या 2789 पर मुगलकालीन ऐतिहासिक इमारत और गुंबद को प्रशासन की नाक के नीचे तोड़कर अवैध निर्माण किया जा रहा है। इस घिनौने कार्य में स्थानीय प्रशासन, दिल्ली नगर निगम (MCD), और भवन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।
ऐतिहासिक विरासत को रौंदने का मामला:
दिल्ली का कश्मीरी गेट, जो अपनी मुगलकालीन धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है, अब एक बार फिर खबरों में है। लेकिन इस बार वजह है अवैध निर्माण। इस क्षेत्र में एक ऐतिहासिक इमारत और गुंबद को तहस-नहस कर बिल्डर ने बिना नक्शे के अवैध निर्माण शुरू कर दिया। हैरान करने वाली बात ये है कि निर्माणाधीन जगह पर कई बड़े पेड़ भी काटे गए, और बिना किसी वन विभाग की अनुमति के बेसमेंट खोदकर अवैध निर्माण का काम जोरों पर है।
क्या प्रशासन भी है इस साजिश में शामिल?
शिकायत करता अजय कुमार ने इस अवैध गतिविधि पर दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों की अनदेखी का आरोप लगाया है। उन्होंने दिल्ली नगर निगम और वन विभाग को भी इस मामले में सवालों के घेरे में रखा है। अजय का दावा है कि इस गैरकानूनी निर्माण में सहायक अभियंता और जूनियर इंजिनियर की मिलीभगत है। एक वीडियो सबूत के तौर पर सामने आई है, जिसमें साफ तौर पर दिखाया गया है कि कैसे ऐतिहासिक गुंबद को तोड़कर निर्माण किया जा रहा है। सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन की आँखों के सामने यह सब हो रहा है, या फिर यह सब कुछ मिलीभगत का हिस्सा है?
क्या पुलिस भी है इस खेल में शामिल?
दिल्ली पुलिस की चुप्पी भी इस मामले में सवालों के घेरे में है। शिकायत करता का कहना है कि अगर कहीं एक ईंट भी लगती है तो पुलिस मौके पर पहुँच जाती है, फिर यहाँ इतना बड़ा अवैध निर्माण और धरोहर की बर्बादी के बावजूद पुलिस की कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई?
जांच और सख्त कार्यवाही की मांग:
अवैध निर्माण और ऐतिहासिक धरोहरों की इस बर्बादी के खिलाफ शिकायतकर्ता ने एमसीडी कमिश्नर, पुलिस विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों को लिखित शिकायत दी है। शिकायत में न सिर्फ अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की माँग की गई है, बल्कि इस गुनाह में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई की भी गुहार लगाई गई है।
अब सवाल यह है कि क्या दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहरों को बचाया जा सकेगा या फिर यह गुनाह भी बाकी मामलों की तरह अनदेखा कर दिया जाएगा?
रिपोर्ट: राशिद चौधरी (SKRNEWS)