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दिल्ली में फर्जी वीजा फैक्ट्री का सनसनीखेज खुलासा: 5 साल से चल रही थी करोड़ों की धांधली!

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दिल्ली में फर्जी वीजा फैक्ट्री का सनसनीखेज खुलासा: 5 साल से चल रही थी करोड़ों की धांधली!

संवाददाता: एस के आर न्यूज
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गुप्त साम्राज्य का पर्दाफाश किया है जो देश के दिल, तिलक नगर में पिछले 5 सालों से बेरोकटोक चल रहा था! यहां से हजारों लोगों को फर्जी वीजा देकर विदेश भेजा गया। पुलिस ने इस हाई-प्रोफाइल गैंग का भंडाफोड़ कर 7 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो अब तक करीब 300 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर चुके हैं। ये गैंग हर महीने 30 से 60 फर्जी वीजा तैयार कर रहा था, और इन वीजा पर विदेश जाने वाले लोग इमिग्रेशन अधिकारियों को कैसे चकमा दे रहे थे, यह सवाल आज भी लोगों के जेहन में गूंज रहा है!
तिलक नगर से लेकर यूरोप तक फैला था जाल
गिरफ्तार आरोपियों की योजना बेहद चालाकी से बनाई गई थी। एक मामूली ग्राफिक डिजाइनर, मनोज मोंगा, इस धांधली के मास्टरमाइंड के रूप में उभरा। मनोज ने अपने हुनर को अवैध रास्तों पर चलने के लिए जयदीप सिंह के कहने पर इस्तेमाल किया। जयदीप ने ही उसे फर्जी वीजा बनाने के अत्याधुनिक उपकरण दिए, और फिर क्या था, दिल्ली में तैयार हुए वीजा लेकर लोग इटली, स्वीडन और अन्य यूरोपीय देशों की यात्रा पर निकलने लगे।

फर्जी वीजा का सुपर-फास्ट प्रोडक्शन
यह गैंग केवल 20 मिनट में एक फर्जी वीजा स्टिकर तैयार कर लेता था! मनोज और उसका गैंग एक वीजा के लिए 8 लाख रुपये वसूलते थे, और लोग बिना किसी सवाल के यह कीमत चुकाते थे। पुलिस ने तिलक नगर में छापा मारकर मनोज को गिरफ्तार किया, जहां से वीजा बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले हाई-टेक उपकरण, लैपटॉप, यूवी मशीन, और पासपोर्ट बरामद किए गए।

नेपाली कनेक्शन और इंटरनेशनल स्कैम
इस गिरोह के तार नेपाल तक जुड़े हुए हैं, जहां से कई नेपाली नागरिकों के फर्जी वीजा भी बनाए गए। पुलिस ने नेपाल के 16 पासपोर्ट और 30 वीजा स्टिकर भी जब्त किए हैं। गिरोह के एजेंट टेलीग्राम, सिग्नल, और व्हाट्सएप जैसी सुरक्षित प्लेटफार्मों का इस्तेमाल करते थे ताकि उन पर नज़र रखना मुश्किल हो सके।

पुलिस की बड़ी कार्रवाई
आईजीआई एयरपोर्ट डीसीपी ऊषा रंगरानी ने बताया कि इस नेटवर्क के लोकल एजेंट्स हर जगह फैले हुए थे, जो विदेश जाने के इच्छुक लोगों से संपर्क कर उन्हें फंसाते थे। इस ऑपरेशन के तहत पुलिस ने न केवल मास्टरमाइंड, बल्कि अन्य सहयोगियों को भी धर दबोचा है, जिनमें आसिफ अली, शिवा गौतम, बलवीर सिंह, और जसविंदर सिंह शामिल हैं।

क्या इमिग्रेशन सिस्टम हो गया है कमजोर?
सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि कैसे यह गैंग इतना बड़ा खेल रचने में कामयाब रहा, जबकि एयरपोर्ट्स पर जांच एजेंसियां मौजूद होती हैं? क्या सिस्टम में कोई खामी थी या फिर इसमें कुछ और गहराई है? ये सवाल अब जांच एजेंसियों के सामने चुनौती बनकर खड़े हैं।

इस सनसनीखेज भंडाफोड़ के बाद दिल्ली पुलिस की चौकसी और कार्रवाई पर हर किसी की नज़रें टिकी हुई हैं।

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