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अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत हुई पूरी, हर तरफ अंधेर ही अंधेर

अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत हुई पूरी, हर तरफ अंधेर ही अंधेर

दिल्ली: अंधेर नगरी चौपट राजा" मुहावरा हमारे भारत देश में इस वक्त लागू होता दिख रहा है, जहां कानून और व्यवस्था का कोई पालन नहीं हो रहा। जिस परिस्थिति में कानून का कोई पालन नहीं होता, उस संदर्भ में इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है। जिस जगह का मुखिया (राजा-मालिक) ही सुस्त हो, और जनता की निगरानी न कर सके, वहाँ पर हमेशा अन्याय होता ही रहेगा और किसी भी चीज़ का कोई मूल्य नहीं होगा।

राजधानी दिल्ली में हर तरफ महंगाई की लूट मची है। किसी भी चीज के हर फैक्ट्री से लेकर दुकानों के विक्रेता मनमानी रेटों पर सामान बेच रहे हैं। कभी भी अपनी मर्जी से किसी भी सामान के रेट बढ़ा दिए जाते हैं, जिसे देखने या रोकने वाला कोई नहीं है। प्रशासन सिर्फ अपनी कुर्सी से बंधे बैठे हैं।

चाहें रोज़मर्रा की सब्जियां हों या दाल, चीनी, नमक, फल - कोई भी वस्तु हो, हर चीज़ पर जब चाहो मनमर्जी कीमत बढ़ा दी जाती है जिस पर किसी का कंट्रोल नहीं है।

            **महंगाई का हाल:**
1. **चाय:** सड़कों पर रेडी पर बिकने वाली चाय, जिसकी 6 महीने पहले एक चाय का बड़ा कप 5 रुपए होता था, अब 15 रुपए हो गया है, और कप भी बिलकुल छोटा।
2. **सब्जियां:** 20 रुपए की सब्जी अब 40 या 80 रुपए में बेची जा रही है, कोई निश्चित रेट नहीं है।
3. **दालें, चीनी, नमक:** किसी भी सामान का एक भाव नहीं है, हर विक्रेता की मनमानी चल रही है।
**मांस मछली की कीमतें:** 

हमारे संवाददाता ने बाजारों में जायजा लिया और पाया कि मांस की कीमत 2020 में 80 रुपए प्रति किलो थी, अब 280 रुपए तक हो गई है। कानून व्यवस्था का कोई पालन नहीं हो रहा और जनता से लूट मची है।
दिल्ली के सभी डिविजन अधिकारी कहा सोए हैं? कुंभकर्ण की नींद में हैं। कौन है जो उन्हें जगाएगा और जनता को इस लूटमारी से बचाएगा? 

                **प्रस्ताव:** 
यूपी में दुकान नाम की पहचान लिखने के चर्चाएं हो रही हैं। इसी तरह, सभी दुकानों और रेडी विक्रेताओं को रेट लिस्ट जारी करवाना क्यों नहीं संभव है?

                   **निष्कर्ष:** 
इस लेख का मकसद जनहित के लिए जागरूक करना और मनमानी रेट कंट्रोल कराना है। अगर इस लेख से कहीं पहल होती है, तो इसे जनहित की सफलता समझा जाएगा।

**रिपोर्ट:** राशिद चौधरी (सियासत का राज न्यूज)

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