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आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता में दर्ज होंगे केस 1 जुलाई से लागू।

आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता में दर्ज होंगे केस

संवाददाता:,(SKR News)
एक जुलाई से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तौर पर जानी जाएगी। इसके तहत ज्यादातर अपराध की धाराएं बदल गई हैं। अब थानों में दर्ज होने वाली एफआईआर में आईपीसी का नहीं बल्कि बीएनएस का उपयोग होगा। बीएनएस की ट्रेनिंग पुलिस और अन्य इकाइयों में शुरू कर दी गई है। अभियोजन को भी इस नई संहिता की ट्रेनिंग दी जा रही है, जिसकी जिम्मेदारी ज्वाइंट डायरेक्टर प्रॉजिक्यूशन को सौंपी गई है।

बीएनएस के तहत हत्या, लूट, डकैती, रेप, छेड़खानी आदि धाराओं में परिवर्तन होगा। पुलिस को बीएनएस की ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी हेडक्वार्टर ट्रेनिंग को दी गई है। इसी तरह, सीबीसीआईडी डीजी ने अभियोजन के वरिष्ठ वकीलों को बीएनएस के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए एक बड़ी बैठक बुलाई है। 

प्रमुख धाराएं जो बीएनएस में बदलेंगी:

| आईपीसी धारा | नया बीएनएस धारा |
|-------------|------------------|
| 302 (हत्या) | 103 |
| 307 (हत्या का प्रयास) | 109 |
| 323 (मारपीट) | 115 |
| 354 (छेड़छाड़) | 74 |
| 354ए (शारीरिक संस्पर्श और अश्लीलता के आरोप) | 75 |
| 354बी (शारीरिक संपर्क और आगे बढ़ना) | 76 |
| 354सी (ताक-झांक करना) | 77 |
| 354डी (पीछा करना) | 78 |
| 363 (नाबालिग का अपहरण करना) | 139 |
| 376 (रेप करना) | 64 |
| 392 (लूट करना) | 16 |
| 420 (घोखाधड़ी) | 309 |
| 506 (जान से मारने की धमकी देना) | 318 |
| 304ए (उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करना) | 351 |
| 304थी (दहेज हत्या) | 106 |
| 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) | 80 |
| 309 (आत्महत्या का प्रयास करना) | 108 |
| 286 (विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरण) | 226 |
| 294 (गाली देना या गलत इशारे करना) | 287 |
| 509 (लज्जा भंग करना) | 296 |
| 324 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) | 79 |
| 325 (गम्भीर चोट पहुंचाना) | 118(1) |
| 326 (आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छापूर्वक कारित करना) | 118(2) |
| 353 (लोकसेवक को डरा कर रोकना) | 118(3) |
| 336 (दूसरे के जीवन को खतरा पहुंचाना) | 121 |
| 337 (मानव जीवन को खतरे वाली चोट पहुंचाना) | 125 |
| 338 (मानव जीवन को खतरे वाली गम्भीर चोट देना) | 125(A) |
| 341 (किसी को जबरन रोकना) | 125(B) |
| 284 (विषैले पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण) | 126 |
| 290 (अन्यथा अनुपबन्धित मामलों में लोक बाधा दंड) | 286 |
| 447 (अपराधिक अतिचार) | 292 |
| 448 (गृह अतिचार के लिए दंड) | 447 |
| 382 (चोरी के लिए मृत्यु क्षति) | 494 |
| 498ए (पति या उसके रिश्तेदार द्वारा क्रूरता) | 498ए |

आईपीसी की धाराएं 442 (गृह अतिचार), 445 (गृह भेदन) और 447 (अपराधिक अतिचार) को बीएनएस में एक ही धारा 330 के अंतर्गत समाहित किया गया है।

बीएनएस के तहत कानून व्यवस्था को सुधारने और अपराधों को नियंत्रित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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