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दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने आईपीएस जितेंद्र मणि त्रिपाठी को सराहना पदक से सम्मानित किया

दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने आईपीएस जितेंद्र मणि त्रिपाठी को सराहना पदक से सम्मानित किया
ब्यूरो,(SKR)
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों से आए 87 आईपीएस अधिकारियों ने राष्ट्रीय पुलिस अकैडमी हैदराबाद में आईपीएस इंडक्शन ट्रेनिंग ली जिसमें जितेंद्र मणि त्रिपाठी डिप्टी डायरेक्टर पुलिस अकैडमी को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ ।
 इसलिए निदेशक राष्ट्रीय पुलिस अकैडमी ने आईपीएस जितेंद्र मणि त्रिपाठी को उच्च उपलब्धि प्रमाण पत्र से नवाजा गया था। साथ ही दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने आईपीएस जितेंद्र मणि त्रिपाठी को सराहना पदक 2023 से भी सम्मानित किया।
बता दे कि अकादमी ने 8 जनवरी से 16 फरवरी 2024 तक 45 वां इंडक्शन ट्रेनिंग कोर्स आयोजित किया था। प्रतिभागियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन कक्षा कक्ष में भागीदारी, सहभागिता और सामान्य आचरण, प्रस्तुत केस स्टडी और बहुविकल्पीय प्रश्न परीक्षा के आधार पर किया गया जिसमें जितेंद्र मणि आईपीएस उप निदेशक दिल्ली पुलिस अकादमी ने शीर्ष पांच प्रदर्शनकर्ताओं में स्थान हासिल किया।

दिल्ली पुलिस के DCP की अटूट रूहानी प्रेम कहानी है।
 ‘मणि मैं रहूं न रहूं, तुम्हें 100 बरस मिले’
दिल्ली पुलिस के डीसीपी जितेंद्र मणि त्रिपाठी की आंखें भर आती हैं, जब पति-पत्नी के रिश्ते की यादें आती हैं। मगर, अब उनकी पत्नी इस दुनिया में नहीं हैं। हद से बढ़कर पत्नी से प्यार की कहानी है डीसीपी जितेंद्र मणि की। इसमें संयोग है, वियोग है और जीवन भर का दर्द भरा है।
ब्रेस्ट कैंसर, फिर एक साल बाद ब्रेन कैंसर से जूझते हुए  जितेंद्र की जिंदगी से हमेशा के लिए चली गईं। कहती थीं 'मणि मैं रहूं न रहूं, तुमको उम्र 100 बरस मिले।'
डीसीपी जितेंद्र मणि कहते हैं में बुलंदियों पर हूं मुझे मानसम्मन पदक से नवाजा जा रहा है काश अगर तुम होती तो कितनी खुशी होती, मगर वो नहीं है।'
जितेंद्र मणि,पत्नी के बिना जितेंद्र की जिंदगी कितनी सूनी हो गई, ये अहसास घर का हर कोना कराता है घर में 'वॉल ऑफ मेमरी' है, जहां किरण की मुस्कुराती एक तस्वीर है। इसे देखकर लगता है वह अभी बोल उठेंगी। साथ हैं ढेरों मेडल, प्रशस्ति पत्र, किरण के हाथों से उकेरी गई खूबसूरत बड़ी-बड़ी पेटिंग्स ही मेरी यादों का सहारा हैं।
 जितेंद्र मणि ने पत्नी की याद में कैंसर पीड़ितों के लिए मददगार बने हैं
किरण की मौत के बाद जितेंद्र ने उनकी याद में 'कहीं तो हंसी होगी' नाम से एक किताब लिखी। इस किताब की बिक्री से मिले पैसे का हिस्सा एम्स में कैंसर का इलाज कराने आए दूर-दराज के मरीजों पर खर्च किया जाता है। 

जितेंद्र मणि लगभग हर महीने एम्स में बाहरी राज्यों से आए कैंसर पीड़ित मरीजों से मिलते हैं, उनकी मदद भी करते हैं।
जितेंद्र मणि त्रिपाठी हर दिल अज़ीज़ है इनको गजलो शेयर शायरी का भी बहुत शोक है, इतना ही नहीं अपने फर्ज में इतने तेज तर्रार चौकन्ने रहते हैं लोग सीधे अपनी समस्याएं भी शेयर कर देते हैं उन पर भी शीघ्र करवाई को अंजाम देकर हल कराने के भी अनगिनत केसों का इतिहास रहा है।

रिपोर्ट,: Rashid Chaudhary
(SKRNEWS)
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