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सर सैयद अहमद खान के जन्म दिन पर एएमयू में जश्न।

सर सैयद अहमद खान के जन्म दिन पर एएमयू में जश्न।

जन्म 17अक्तूबर 1817 दिल्ली में हुआ, 27 मार्च 1898 वफात हुई।
सैयद अहमद खान के वालिद  मोहम्मद तकि वालदा का नाम अजीजुन निशा था।
संवाददाता: (एसकेआर)
भारत में A,M,U अलीगढ़ से जानी मानी यूनिवर्सटी जो पूरी दुनिया में मशहूर है जहां लगभग 50, हज़ार बच्चे पढ़ रहे हैं। यहां से सिक्षा पूरी कर दुनिया में पोहोचते हैं जिससे भारत का नाम रोशन होता है।
 सर सैयद अहमद खान के निधन से अधिक समय के बाद भी हम उनकी सच्ची छवि पेश करने में असमर्थ रहे हैं।
 अक्सर इस बात पर जोर दिया जाता है कि सर सैयद ने भारत में जिस तरह अंग्रेजों के दौर में भारत के लोगों तालीम मिल सके और भारत के बच्चे दुनिया में पढ़कर पोहचें उनकी ये मुहिम रंगलाई जिनके जन्म दिवस पर हर वर्ष बड़ी धूमधाम से जन्म 17 अक्तूबर को जन्म दिन मनाया जाता है इस दिन मुस्लिम यूनिवर्षटी जगमग नजर आती है। सभी पढ़ने वाले करीब पचास हजार विद्यार्थियों और शिक्षकों ने 20 दस्तरखान पर  दावत खाई।
 इनके खाने के लिए 750 बकरों का कोरमा 40 कोंटल बिरयानी,35 कॉन्टल शाही पीस दावत में लुत्फ उठाया।

 110 साल से इसी तरह ये परंपरा चलती आ रही है।
 सर सैयद ने 26 जनवरी, 1884 को अमृतसर में अपने भाषण में कहा था: "हम भले ही भारत में खुद को हिंदू या मुसलमान कह सकते हैं, लेकिन विदेशों में हम सभी भारतीय मूल निवासी के रूप में जाने जाते हैं। इसलिए एक हिन्दू का अपमान मुसलमान का अपमान है और एक मुसलमान का अपमान हिन्दुओं के लिए शर्म की बात है।

स्वामी दयानंद सरस्वती और सर सैयद भारत में उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध के दो सबसे बड़े सामाजिक और धार्मिक सुधारक थे। यह एक सुखद संयोग था कि दोनों एक दूसरे के समकालीन थे और एक-दूसरे को जानते और सम्मान करते थे। सर सैयद सभी के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आवश्यकता पर जोर देते रहे हैं। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को हर तरह की कट्टरता से मुक्त रखा और इस बात पर जोर दिया कि देश के हर हिस्से पर व्यापक सहिष्णुता और उदार नैतिक मूल्यों की तेज रोशनी बिखेरे। जिसका रूप 17 अक्तूबर 2023 को एएमयू में देखने को मिला।

रिपोर्ट: राशिद चौधरी
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