राजधानी दिल्ली में केई एकड़ फैक्ट्री की जमीन पर नई अवैध कॉलोनी बसाने का षड्यंत्र फिर शुरू। ज्वाइंट सीपी रेफर वेस्टर्न रेंज आदेश ऑडर नंबर 89715 दिनाक 23 दिसम्बर 2020 के रोक के बाद भी प्लॉटिंग जारी।
भूमाफियाओं सासन प्रशासन की मिली भगत? बाहरी दिल्ली के वार्ड 44 में कानून का खुला उलंघन।
अखाड़े की बेचड़ाली जमीन बना दिया रोड बाकी बचे अखाड़े को बेचने का चल रहा षडयंत्र
सुलतानपुरी की भल्ला फैक्ट्री के झोड़ तालाब में भराव कर अवैध रूप से साशन प्रसाशन के कर्मियों से मिलीभगत कर प्लॉटिंग फिर शुरू।
केई एकड़ भल्ला फैक्ट्री के साथ जमीन पर नई कॉलोनी बसाने का षड्यंत्र ज़ोर शोर से चल रहा है जिस मामले पर साशन प्रशासन आंख बंद कर तमाशा देख रहा है।
बाहरी दिल्ली: सुलतानपुरी थाना राजपर्क इलाके में रेल के डिब्बे बनाने वाली फैक्ट्री बंद होजाने के बाद वीरान पड़ी रेलवे लाइन के साथ केई एकड़ ज़मीन पर अवैध रूप से तालाब को मलवे से भर कर छोटे-छोटे प्लॉट काटकर प्लॉटिंग की 2020 में तैयारी की जा रही थी जिसे प्रशासन ने रोक दिया था जिस पर जॉइंट सीपी वेस्टर्न रेंज के संज्ञान द्वारा रोक के आदेश दिए गए थे जहां कार्य रुक गया था।
जहां अब काफी वक्त से फिर कानून का उलंघन कर अपने शिविर बना कर सरकारी नाले नालियों से डीलर जोड़ने की साजिश कर रहे है।
साथ ही कुछ सरकारी विभाग से मिलकर पानी की लाइनें भी जोड़ने की तैयारी करते नज़र आरहे हैं। सुलतानपुरी के थाना राजपार्क इलाके के F-6-7 ब्लॉक सुलतानपुरी के सामने बने अखाड़े के पीछे खाली पड़ी ज़मीन पर कॉलोनी नुमा गल्यां तयारी चल रही है जिससे साफ लगता है इस फैक्टी की जगह नई कॉलोनी काट कर छोटे छोटे प्लॉट काटने शुरू कर दिए हैं। साथ ही सरकारी जमीन पर बने अखाड़े के बीच में अवैध रूप से अंदर जाने के लिए रास्ता बना दिया गया है और सरकारी जमीन पर दुकानें नुमा कब्जा कर एंट्री रोड बना दिया गया है। साथ ही NDPL से सांठगांठ कर पोल लगाने की त्यारी चल रही है। जबकी दिल्ली में कही भी नई आबादी बसाने की अनुमति नही है पर यहाँ खुलेआम अवैध कालोनी बसाने का कार्य ज़ोर शोर से चलता देखा जा सकता है सभी संबंधित विभाग आंख बंद कर बैठे हैं।
बतादें ये इस फेक्ट्री में वर्षों पहले रेलगाड़ी के डिब्बे बनते थे जो भल्ला फैक्ट्री के नाम से जानी जाती थी इस फैक्ट्री का ऐरिया सुलतानपुरी रेलवे फाटक से लेकर नांगलोई रेलवे फाटक तक है जिस फैक्ट्री में काम करने वाले मज़दूर कुछ फैक्ट्री की जगह झुग्गियां डाल कर रहते थे जो फैक्ट्री बंद होजाने के बाद भी उस जगह को खाली कर नही गए जिसका केस कोर्ट में विचारधीन है? जो फेक्ट्री की चार दिवारी में सीमित है।
पर जो जगह फैक्ट्री की ख़ाली पड़ी हुई है जो अनेकों एकड़ है जिसमे फेक्ट्री का तालाब था उसको मलवे से भरदिया गया है और पूरी फैक्ट्री की जगह में अवैध रूप से प्लॉट काटकर व बेच कर आबादी बसाने की तैयारियां हो रही हैं जबकि कानूनन ऐसा हो नही सकता।
'''' जिससे साफ जाहिर होता है ज़िले के संबंधित अधिकारी मिलीभगत के कारण आंख बंद कर बैठे हैं जिस पर अभी तक कोई रोक नही लगी।
अब देखना होगा मामला फिर उजागर होने के बाद प्रसाशनिक अधिकारियों की आंख खुलती है या नही ये आने वाला वक़्त बताएगा।
रिपोर्ट: राशिद चौधरी
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(SKR News)