NDA बनाम INDIA : मोदी पक्ष और विपक्ष की बैठक
संवाददाता: (एस के आर)
नई दिल्ली : 2024 की लड़ाई में देश के क़रीब 64 राजनीतिक दल दो खेमों में बंटे.
भारतीय राजनीति में एक ही दिन में राजनीतिक दलों की दो गठबंधन बैठकों से देश के साथ ही दुनियां भी सांस रोके इस घटनाक्रम को देख, समझ रही हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष की बैठक के इनसाइड मायने क्या हैं ? इस घटनाक्रम को जानने का प्रयास हर कोई कर रहा हैं.
भारतीय राजनीति अब पुरी तरह से दो खेमों में बट चुकी हैं. दोनों तरफ से जमकर प्रहार हो रहे है, एक तरफ से वंशवाद, भ्रष्टाचार का वार तो दूसरी तरफ से लोकतंत्र को खतरे का प्रहार है.
राजनीति के केनवास पर बेंगलुरु में खिंची नई तस्वीर तो छप चुकी है, जिसमें 26 विपक्षी दल मोदी को हराने की सौगंध ले चुके हैं. पूरा प्लान तैयार, खाका तैयार है, 2024 के लोकसभा चुनाव में स्टेप बाई स्टेप कब और क्या करना है.
मोदी के खिलाफ बेंगलुरु में विपक्ष की दूसरी बैठक में 26 दलों के इस गठबंधन को नाम दिया गया है, I.N.D.I.A..
विचारधारा अलग-अलग लेकिन बड़े लक्ष्य के लिए सब साथ आ गए हैं, अगर विपक्षी एकता के गुलदस्ते में मौजूद फूल को देखें तो विचारों की महक अलग-अलग है. सबका सम्मान, सबका साथ यानी नफरत के खिलाफ मुहब्बत की राजनीति.
इस नाम की सार्थकता के बारे में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि "यह लड़ाई विपक्ष और भाजपा के बीच नहीं है. देश की आवाज को कुचला जा रहा है, यह लड़ाई देश के लिए है इसलिए इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (INDIA) नाम चुना गया. यह NDA और INDIA की लड़ाई है. नरेंद्र मोदी और इंडिया के बीच लड़ाई है. उनकी विचारधारा और इंडिया के बीच की लड़ाई है. हमने निर्णय लिया है कि हम एक एक्शन प्लान तैयार करेंगे और एक साथ मिलकर देश में हमारी विचारधारा और हम जो करने जा रहे हैं उसके बारे में बोलेंगे."
राहुल गांधी के बयान के मायने हैं कि गठबंधन के नाम में ही विपक्षी एकता की शक्ति का मंत्र मौजूद है.
विपक्षी गठबंधन ने अपना नाम I.N.D.I.A. चुना तो ममता बनर्जी ने कह दिया कि अब रियल चैलेंज स्टार्ट हो चुका है.
इस नए नामकरण से ये तो साफ हो चुका है कि अब चुनाव में बार बार इंडिया का नाम सुना जाएगा. जो समावेशी राष्ट्रवाद की भावना के लिए समर्पित होगा. कहीं ना कहीं ये नाम इसलिए दिया गया है कि क्योंकि बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए राष्ट्रवाद की काफी बातें करता है. ऐसे में समझा जा रहा है कि विपक्ष के गठबंधन का I.N.D.I.A. नाम, नया माहौल, नया अवसर पैदा कर सकता है और मोदी-शाह की जोड़ी के खिलाफ राष्ट्र एकता के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, तो इसके मायने हैं कि काफी सोच समझ कर ये नाम चुना गया है.
बता दें कि विपक्षी पार्टियों ने बैठक के दौरान काफी विचार-विमर्श के बाद गठबंधन के नाम पर सहमति दी और ये भी चर्चा हुई कि विपक्ष के गठबंधन के नाम को लेकर बीजेपी विपक्षी गठबंधन के नाम पर मजाक या तंज नहीं कस पाए.
यही वजह रही कि विपक्ष ने इस बार यूपीए को छोड़कर I.N.D.I.A. नाम रखा. वैसे भी NDA सरकार ने कई योजनाओं के नाम और स्लोगन में INDIA नाम का उपयोग किया हैं जैसे
जैसे स्टैंड अप INDIA, स्टार्ट अप INDIA, डिजिटल INDIA, स्किल INDIA, मेक इन INDIA, शाइनिंग INDIA, खेलो INDIA, जीतेगा INDIA, पढ़ेगा INDIA बढ़ेगा INDIA आदी. अतः विपक्ष का सोचना है कि बीजेपी INDIA शब्द को औपनिवेशिक मानसिकता से नहीं जोड़ पाएगी, इसी आशंका के चलते नीतीश कुमार ने विपक्षी गठबंधन में भारत नाम शामिल किए जाने का सुझाव दिया था.
और यह आशंका तब सच हों गई जब विपक्षी गठबन्धन की बैठक के तत्काल बाद असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने INDIA नाम पर तत्काल कटाक्ष करते हुए कहा कि "हमारा सभ्यतागत संघर्ष भारत और इंडिया के आसपास केंद्रित है. अंग्रेजों ने हमारे देश का नाम इंडिया रखा. हमें खुद को औपनिवेशिक विरासत से मुक्त करने का प्रयास करना चाहिए. हमारे पूर्वजों ने भारत के लिए लड़ाई लड़ी और हम भारत के लिए काम करना जारी रखेंगे."
विदित हो कि विपक्ष की बैठक पर शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद संजय राउत ने कहा कि 'अब बीजेपी को इंडिया के खिलाफ लड़ना होगा.'
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि 'समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों की इस बैठक के नतीजे साफ संकेत दे रहे हैं कि वे (बीजेपी) पूरी तरह से चिंतित हैं. हमें भारत के विचार की रक्षा करनी है जिसे भाजपा ने परेशान कर दिया है.'
दिल्ली में एनडीए की बैठक पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कहा कि "उन्हें लंबे समय बाद एनडीए की याद आ रही है. पहले उन्होंने कहा था कि उन्हें एनडीए की जरूरत नहीं है, वे अकेले ही काफी हैं. लेकिन अब वे एक बैठक कर रहे हैं, जिससे पता चलता है कि कुछ गड़बड़ है."
एनडीए बैठक पर एनसी नेता उमर अब्दुल्ला ने कुछ इसी अंदाज में कहा कि "आखिरी बार एनडीए की बैठक कब हुई थी. उन्होंने (बीजेपी) अचानक एनडीए के विचार को क्यों पुनर्जीवित किया है. उनके लिए (बीजेपी) गठबंधन एक आवश्यकता बन गया है."
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी NDA की दिल्ली मे होटल अशोका की बैठक पर कहा कि "एनडीए 30 दलों के साथ बैठक कर रही है. मैंने भारत में इतनी पार्टियों के बारे में नहीं सुना है. पहले उन्होंने कोई बैठक नहीं की लेकिन अब वे एक-एक करके (एनडीए दलों के साथ) बैठक कर रहे हैं. पीएम मोदी अब विपक्षी दलों से डर रहे हैं. हम यहां लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए एकत्र हुए हैं."
खरगे ने आगे कहा"हम यहां 26 पार्टियां हैं. हम सब मिलकर आज 11 राज्यों में सरकार में हैं. बीजेपी को अकेले 303 सीटें नहीं मिलीं. उसने अपने सहयोगियों के वोटों का इस्तेमाल किया और सत्ता में आई फिर उन्हें त्याग दिया. आज बीजेपी अध्यक्ष और उनके नेता अपने पुराने सहयोगियों से समझौता करने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य भाग-दौड़ कर रहे हैं."
मल्लिकाजुर्न खरगे ने इस संबंध में बड़ी बात कही कि "कांग्रेस पार्टी 2024 में प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल नहीं है. उन्होंने कहा, कांग्रेस विपक्ष की मीटिंग में शामिल हो रही है लेकिन प्रधानमंत्री की रेस में नहीं है. कांग्रेस को सत्ता या प्रधानमंत्री पद में कोई दिलचस्पी नहीं है."
बेंगलुरु में विपक्षी दलों की अहम बैठक के बाद प्रस्तावित मुम्बई बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे या सोनिया गांधी को संयोजक और नीतीश कुमार को गठबंधन INDIA का अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है.
इधर बेंगलुरु में विपक्ष के 26 दलों का गठबंधन इंडिया तैयार हुआ, तो बेंगलुरु से करीब दो हजार किलोमीटर दूर दिल्ली में भी बीजेपी की अगुवाई में एनडीए की बैठक हुई और इस बैठक में एनडीए ने 38 दलों के साथ शक्ति प्रदर्शन किया. ये बताने की भी कोशिश की, विपक्ष के कुनबे से बड़ा एनडीए का कुनबा है. लेकिन कांग्रेस कह रही है पुराने धुराने एनडीए में फिर से जान फूंकने की कोशिश की जा रही है. तो इसका जवाब बीजेपी इस तरह से दे रही है कि उसकी अगुवाई वाले एनडीए में 350 से ज्यादा सांसद हैं, जबकि विपक्ष की बैठक में जितनी पार्टियां शामिल हुई है, उनके पास लगभग 150 ही सांसद हैं. यानी बीजेपी ये बता रही है कि दम तो एनडीए में ही है.
विपक्ष की बैठक पर पीएम मोदी ने हमला बोलते हुए कहा, "इन लोगों को भ्रष्टाचार से इन लोग को बहुत प्रेम है. ये लोग परिवारवाद के समर्थक है. ये लोग परिवार प्रथम के लिए काम करते है. परिवारवादी पार्टी ने देश का विकास नहीं किया. बंगाल के पंचायत चुनाव में हिंसा हुई लकिन इन पार्टियों ने कुछ नहीं बोला. शराब घोटाले पर भी ये पार्टियां कुछ नहीं बोलती है."
इस बैठक के पहले भी विपक्ष पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा था, "2024 के लिए 26 राजनीति दल एक हो रहे है. कुछ लोग भारत के बदहाली की दुकान खोलकर बैठ गए. ये लोग बेईमानी का सम्मलेन कर रहे है. ये लोग घोटालेबाज लोगों को सम्मान दे रहे है. जेल जाने वाले लोगों को खास सम्मान दिया जाता है. आजकल ये लोग बेंगलुरु में जुटे हैं. ये जातिवादी और करप्ट लोग हैं. एक चेहरे पर कई चेहरे लगा कर बैठे है."
इसी तरह का आरोप बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने INDIA पर लगाते हुए कहा कि कांग्रेस जातिवादी दलों के साथ गठबन्धन कर सत्ता में आना चाहती हैं वह इन दोनों दलों से अलग रहेंगी और राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी साथ ही लोकसभा चुनाव भी अकेले लगेगी.
इस बैठक के दौरान पीएम मोदी ने चिराग पासवान को भी गले लगाया. इस तस्वीर से संदेश गया कि मोदी किस तरह से अपने कुनबे को सहेज रहे हैं. 2024 की प्लानिंग के लिए एनडीए की बैठक से पहले, पीएम मोदी कुछ इस अंदाज में चिराग पासवान से मिलते हैं. पहले चिराग मोदी के पांव छूते हैं फिर मोदी उन्हें गले से लगाते हैं. इससे संदेश यह जा रहा है कि विपक्ष की एकता को देखकर अब बीजेपी भी एनडीए के दलों को दुलार दे रही है.
NDA की बैठक के बाद प्रफुल्ल पटेल ने कहा, "मैं और अजित पवार आज एनडीए की बैठक में अन्य राजनीतिक दलों के साथ मौजूद थे. एनसीपी एनडीए का अभिन्न अंग है. भविष्य में एनसीपी, एनडीए के साथ काम करेगी."
वहीं विपक्ष की बैठक पर बीजेपी चीफ जेपी नड्डा ने भी वार किया. उन्होंने कहा, "विपक्षी गठबंधन भानुमति का कुनबा है. इनका न नेता है और न ही कोई नीति ये भ्रष्टाचार और घोटालों का टोला है. विपक्षी दलों की बैठक पर दिल्ली बीजेपी ने ट्वीट किया- 'चोरों की बारात' पहुंची बेंगलुरु, मगर सवाल एक- दूल्हा कौन?"
2024 की लड़ाई कितनी तगड़ी होने वाली है, ये इसी से पता चलता है कि जब विपक्ष ने 26 दलों का गठबंधन बनाया, तो बीजेपी ने भी बता दिया कि एनडीए में उसके साथ पूरे 38 दल खड़े हैं.
बैठक के बाद एनडीए के फोटोसेशन का इंतज़ाम किया गया था, जहां थियेटर स्टाइल में सीढ़ियां बनाई गई, जिन पर खड़े होकर एनडीए के तमाम नेताओ ने एनडीए अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ तस्वीरें खिचवाई.
बहरहाल भारतीय राजनीति में यह तीसरा मौका है जब सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ सभी विपक्षी दल एक जुट हुए हैं. इससे पहले 1977 में पहली बार विपक्षी नेता एक साथ आए, गठबंधन की सरकार बनी थी. तब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में पहली गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ था. इसके बाद जनता पार्टी ने अलग-अलग दलों के समर्थन से 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी. अब 2024 चुनाव में भी तीसरा मौका होगा जब तमाम विपक्षी दल एक जुट होकर सत्ता पक्ष के खिलाफ चुनाव में हुंकार भरेंगे. वैसे इस महाभारत की रणभेरी बज जानें के बाद 2024 के पहले होने वाले पांच राज्यों के चुनाव में किसे फ़ायदा मिलेगा, यह प्रश्न भी पूछा जाने लगा हैं.
केंद्रीय राजनीति के इस पुरे घटनाक्रम से देश ये महसूस कर रहा हैं कि अब शेर अकेला नहीं चलेगा, काफिला भी साथ होगा.