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शब ए व रात की फ़ज़ीलत

शब ए वर आत 

महीना पाक ये रमजान के पहले शाबान तारिख-ए-15 है ये  नाफिल नमाज पढ़ के ऐ तु बन्दाए खुदा, ख़ुदा का जश्न है दावत दे शब ए व रात
  मुआफी मांग ले हर जुभे की तू

खुदा के एनायत की रात है ये शब ए ब रात दुआये तेरी सब कुबूत करेगा मौला खुदा के इबादत है रात शब ए ब रात आज हर शख्स की पेशी है उसके दर पर आज लगती ये अदालत है ये खबर करा याद तू अपने खानदान को तिलावत ते कुरान -" तिलावत काजिब है ये शब ए बरात तेरे गुनाह से माफी की रात है बन्दे खुदा के काम की बारिश ये शब ए व रात महीना रज्जव - ए हिजरी के बदरती है बहुत फजीलत - दे पाक ये शब ए व रात और तिलावत का दौर चलता

पाक दिल की दुआ कुबूल है

तु पढ़ के फ़ातिहा, अपने बुजुर्गो की खातिर ये है नमाज इबादत है ये शब्द ए व रात

न कर तू शोर शराबा ? का आतिशवाजी

सुकून ए  है ये देख ये शब ए बर आत

लेखक:- दिल्ली मेट्रो
डीसीपी जितेंद्र मणि तिर्पाठी

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